यकीनन हम हि ने उसे रास्ता भी दिखा दिया, ख्वा शूकर गुज़ार हो ख्वा नाशुकरा. ( कुरान ७६ : ३ ) यानी पहले असल फितरत और पेदायशी अक्ल व फहम से फिर दलाइल अकलिया व नाक्लिया से नेकी की रह समझाई जिस का मकसद ये था के सब इन्सान एक रह चलते लेकिन गर्दो –पेश के हालात और खारजी हवारिज़ से मुतासिर होकर सब एक राह पर ना रहे. बाज़ ने अल्लाह को माना और उसका हक पहचाना , और बाज़ ने नाशुक्री और नाहक कोशी पर कमर बांध ली. आगे दोनों का अंजाम मजकुर है.
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