Tuesday, November 22, 2016

SIX YEARS OLD GIRL MARRY 50 YEARS OLD MAN IN ISLAM (URDU )


मुल्हिदीन कही से भी कोई भी तस्वीर उठा क्र बगैर कोई साबुत दिए इस पर अपनी खुद साख्ता कहानी जड़ क्र इस्लाम पर तनकीद करते रहते है . उपर की तस्वीर फोटो भी इसी दलील बाला का एक हिस्सा है जिस का मकसद बस उम अल मौमिनीन  हजरत आयेशा र.अ. की कम उमरी में शादी करना है. मेरा सवाल इस देसी लिब्रल्स लुंडे के अंग्रेजो से ये है के आप के पास वो कौनसा स्टैण्डर्ड है जिस से आप किसी की शादी को रोक सकते है ? अभी पचास साला शारुख खान या सलमान खान उनकी बेटी का रिश्ता मांग ले तो ये एक के साथ एक फ्री दे देंगे .अगर लड़की ना बालिग है तो उससे शादी तो यकीनन एक जुर्म होंगा . मगर एक अक्ल वाली बालिग खातून से शादी से रोकना नेहायत घटिया ज़हनियत है और हजरत आयेशा र.अ  के बारे में ये साबित है के वो गैर मामूली जसारत, ज़हानत और ब्लोगत को पहुच चुकी थी.
मुश्त्रिकिन और मुल्हिदीन ने हजरत आयेशा र.अ के निकाह के सिलसिले में जिस मफरुज़े की बुनियाद पर नारवा और बेजा तरीके पर लब को हरकत और पेन को जन्ब्श दी है, अगर अरब के उस वक्त के जुगराफियाई माहोल और आब व हवा  का तारीखी स्टडी करे तो उसका खोखला पं साबित होजाता है .
हर मुल्क व इलाके के माहोल के मुताबिक लोगो के रंग व रूप , जिस्मानी व जिन्सी बनावट व अतवार जिस तरह बा हम मुख्तलिफ होते है उसी तरह age ऑफ़ puberty (सन ब्लोग्त ) में भी काफी फर्क होता है . जिन मुल्को में मौसम सर्द होता है वाहा ब्लोग्त की उम्र ज्यादा होती है. और जहा मौसम गर्म होता है वहा ब्लोग्त जल्द  डेवेलोप हो जाती है . मसलन अरब एक गर्म मुल्क है. वहा की खुराक भी गर्म होती है जो के उमुमन खजूर और ऊँट के गोश्त पर मुबंई होती है. इस लिए उम अल मौमिनिन आयेशा र.अ का ९ साल की उम्र में बालिग होजाना अक्ल के खिलाफ नहीं .
हजरत आयेशा र.अ की निस्बत काबिल व सौक रिवायात से भी ये मालूम है के उनकी जिस्मानी कुवत बहुत बहतर थी और उन में कुवत नाशोनुमा जियादा थी. एक तो खुद अरब की गर्म आब व हवा में औरतो के गैर मामूली नाशो नुमा की सलाहियत है दुसरे आम तौर पर ये भी देखा गया है के जिस तरह मुमताज़ अश्खास के दिमागी और ज़हीनी कावा में तरक्की की गैर मामूली इस्तेदाद होती है . इसी तरह कद व कामत (physical) में भी बालिदगी की ख़ास सलाहियत होती है. इस लिए बहुत थोड़ी उम्र में वो कुवत हजरत आयेशा र.अ में पैदा होगई थी जो शोहर के पास जाने के लिए एक औरत में जरूरी होती है.
यही वजा हैकि हजरत आयेशा र.अ को खुद उनकी माँ ने बदून उसके के अन-हजरत स.अ की तरफ से रुखसती का तकाज़ा किया गया हो , खिदमत ए नबवी में भेजा था और दुनिया जानती है के कोई माँ अपनी बेटी की दुश्मन नहीं होती. बल्कि लड़की सब से जियादा अपनी माँ ही की लाडली और महबूब होती है. इस लिए ना मुमकिन और महाल है के उन्होंने अज्द्वाजी तालुकात कायम करने की सलाहियत व अहलियत से पहले उनकी रुखसती करदिया हो .
इस्लामी तारीख से मिसाले :
इस्लामी किताबो में अय्से बहुत वाकियात नकल किये गए है, जिन से साबित होता है के अरब के माशरे में ९ साल की उम्र में बच्चा जन्म देना आम बात और उस उम्र में निकाह  करना रिवाज था. इन लोगो के लिए कोई हैरत की बात नहीं थी .. कुछ वाकियात ....
१.अबू आसिम अल-नबील कहते है के मेरी वालिदा ११० हिजरी में पैदा हुई और मई १२२ हिजरी में पैदा हुआ .[ सीरत अयेलुल-न्बला जिल्द ७ ,१६२७ ] यानी १२ साल की उम्र में उनका बेटा पैदा हुआ तो ज़ाहिर है की वालिदा की शादी १० से ११ साल की उम्र ममे हुई होंगी .
२.अब्दुल्लाह बन उमरू अपने बाप उमरू बिन अआस र.अ से सिर्फ ११ साल छोटे थे. [ ताज्कृत-उल-हुफ्फाज़ जिल्द १,९३ ]
३.ह्शाम बिन अरवा ने फातिमा बिन्त मंजर से शादी की उसवक्त फातिमा की उम्र ९ साल थी .[ अल-ज़ुआफा लील-अकिली जिल्द ४ ,१५८३ , तारीख बगदाद १/२२२ ]
४.अब्दुल्लाह बिन सालेह कहते है उनकी पड़ोस में एक औरत ९ साल की उम्र में प्रेग्नेंट हुई और उस रिवायत में ये भी दर्ज है की एक आदमी ने उनको बताया के उसकी बेटी १० साल की उम्र में प्रेग्नंट हुई.[ कामिल ला-इब्न अदि जिलद ५ / १०१५
५.हजरत माविया र.अ ने अपनी बेटी की शादी ९ साल की उम्र में अब्दुल्लाह बिन आमिर से कराइ .[तारीख इब्न असाकिर जिल्द ७० ]
६.इमाम दार-कुतनी र.अ ने एक वाकिया नकल फ़रमाया है के अबाद बिन अबाद-उल-मह्ल्बी  फरमाते है में ने एक औरत को देखा के वो १८ साल की उम्र में नानी बन गयी ९ साल की उम्र में उसने बेटी को जन्म दिया और उसकी बेटी ने भी ९ साल की उम्र में बच्चा जन्म दिया .[ सुनन  दार कुतनी जिल्द ३ किताब अल-निकाह ३८३६ ]
माज़ी करीब और हाल की मिसाले :
इसी तरह के कई हवाले इस बात पर दलील है के ये कोई अनोखा मामला नहीं था , आज कल भी अखबारों में इस किस्म की खबरे छपती रहती है . रोजनामा dawn २९ मार्च १९६६ में खबर थी के ८ साल की बच्ची प्रेग्नंट हुई और ९ साल की उम्र में उसने बच्चा जाना . डॉक्टर जाकिर नायक ने एक दफा अपने एक इंटरव्यू में बताया था के “ हदीस आयेशा र.अ के बारे में मेरे जहन में भी काफी शक था . पेशे से एक डॉक्टर होने की वजा स मेरे पास एक मरीज़ आया जिस की उम्र ९ साल थी और उसे हैज़ menses आरहे थे . तो मुझे इस रिवायत की सचाई और हक्कानियत पर यकीन अगया .”
इस के इलावा रोजनाम जंग कराची में १६ अप्रैल १९८६ को खबर तस्वीर के सह छपी थी जिस में एक ९ साल की बची जिस का नाम अल्लिएंस था और जो ब्राज़ील की रहने वाली थी २० दिन की बची की माँ थी .
इसी तरह रोजनामा आगाज़ में १ अक्टोबर १९९७ को खबर छपी के ( मुल्तान के करीब एक गाँव में )  एक ८ साल की लड़की प्रेग्नंट होगई है और डोक्टोरो ने एलान किया की जचकी के वक़्त उसकी मौत भी होसकती है .फिर ९ डिसेम्बर १९९७ को उसी अखबार में दूसरी खबर छपि के “मुल्तान (आगाज़ न्यूज़ ) एक ८ साल लड़की ने एक बच्चा जन्म दिया और वो सहत मन्द नही है . जब अय्से मॉडरेट और मीडियम माहोल व आब व हवा वाले मुल्क में ८ साल की लडकी में ये इस्तेदाद पैदा हो सकती है तो अरब  के गर्म आब व हवा वाले मुल्क में ९ साल की लड़की में इस सलाहियत का पैदा होना कोई ताजुब की बात नही है.
इन्टरनेट पर भी इस उम्र की लडकियों के हां बच्चो की पैदाइश की बिसो खबरे मौजूद है, २ ,३ महीने पहले खबर पढ़ी जिस में यूरोप की एक लड़की का बताया गया था के वो १२ साल की उम्र में माँ बन गयी, और हजरत आयेशा र.अ  के निकाह पर ऐतराज़ करने वाले इन्ही मुल्हिदीन ने उसे वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया था.

जब आप गौर करे गे के नबी स.अ ने आयेशा र.अ के इलावा किसी और कुंवारी औरत से शादी नहीं की बल्कि उनके इलावा बाकी सब बीविय एसी थी जिन की पहले शादी होचुकी थी अब या तो मुत्लाका थी या बेवा , इस तरह वो तान जो कुछ लोग फैलाने की कोशिश करते है के नबी स.अ का शादी करने का मकसद सिर्फ औरतो की शहवत और उनसे नफाह उठाना था जाइल (बेकार) होजाता है.
कियुनकी जिस शक्स का ये मकसद हो तो वो अपनी सारी बिविया या अक्सर एसी इख्तेयार करता है जो इन्तेहाही खुबसुरत हो और उन में रगबत की सारी सिफात पाई जाये, और इसी तरह और हिस्सी और जाइल होने वाले मेयार भी.

कुफार और उनके पैरोकारो का उस तरह नबी रहमत स.अ में तान करना इस बात की गुमारी करता है के वो अल्लाह तआला की तरफ से नाजिल करदा दिन और शरियत में तान करने से बिलकुल आजिज़ आचुके है अब उन्हें कुछ नहीं मिला तो नबी स.अ की ज़ात में तान करना शरू करदिया और कोशिश करते है के खारजी उमोर में तान किया जाये, लेकिन अल्लाह तआला तो अपने नूर और दिन को मुकमिल करके रहेगा अगरचा काफ़िर बुरा मानते रहे .
अल्लाह तआला ही तौफिक बक्ष्ने वाला है.
बेंजामिन महर

ملحدین کہیں سے بھی کوئ بھی تصویر اٹھا کر بغیر کوئ ثبوت دیے اس پر اپنی خود ساختہ کہانی جڑ کر اسلام پر تنقید کرتے رہتے ہیں۔ زیر نظر تصویر بھی اسی دلیلِ بال لاں کا ایک حصہ ہے جس کا مقصد پس پردہ ام المومنین حضرات عائشہ رض کی کم عمری میں شادی کرنا ہے۔ میرا سوال ان دیسی لبرلز یعنی لنڈے کے انگریزوں سے یہ ہے کہ آپ کے پاس وہ کونسا سٹینڈرڈ ہے جس سے آپ کسی کی شادی کو روک سکتے ہیں؟ ابھی پچاس سالہ شاہ رخ خان یا سلمان خان ان کی بیٹی کا رشتہ مانگ لیں تو یہ ایک کے ساتھ ایک فری دے دیں گے۔ اگر لڑکی نابالغ ہے تو اس سے شادی تو یقیناً ایک جرم ہو گا۔ مگر ایک عاقل بالغ خاتون سے شادی سے روکنا نہایت گھٹیا زہنیت ہے اور حضرت عائشہ کے بارے میں یہ ثابت ہے کہ وہ غیر معمولی جسامت ،زہانت اور بلوغت کو پہنچ چکی تھیں۔ 
مستشرقین اور ملحدین نے حضرت عائشہ رضی الله عنہا کے نکاح کے سلسلہ میں جس مفروضہ کی بنیاد پر ناروا اور بیجاطریقہ پر لب کو حرکت اور قلم کوجنبش دی ہے’ اگر عرب کے اس وقت کے جغرافیائی ماحول اور آب و ہوا کا تاریخی مطالعہ کریں تو اس کا کھوکھلا پن ثابت ہوجاتا ہے۔
ہر ملک وعلاقے کے ماحول کے مطابق لوگوں کے رنگ وروپ ،جسمانی وجنسی بناوٹ اورعادت واطوار جس طرح باہم مختلف ہوتے ہیں اسی طرح سن بلوغت میں بھی کافی تفاوت و فرق ہوتا ہے ۔ جن ممالک میں موسم سرد ہوتا ہے وہاں بلوغت کی عمر زیادہ ہوتی ہے اور جہاں موسم گرم ہوتا ہے وہاں بلوغت جلد وقوع پذیر ہوجاتی ہے ۔ مثلاً عرب ایک گرم ملک ہے ۔وہاں کی خوراک بھی گرم ہوتی ہے جوکہ عموماً کھجور اور اونٹ کے گوشت پر مبنی ہوتی ہے۔ اس لئے ام المؤمنین عائشہ رضی اللہ عنہا کا 9سال کی عمر میں بالغ ہوجانا بعید از عقل نہیں ۔
حضرت عائشہ رضی الله عنہا کی نسبت قابل وثوق روایات سے بھی یہ معلوم ہے کہ ان کے جسمانی قوی بہت بہتر تھے اور ان میں قوت نشو و نما بہت زیادہ تھی۔ ایک تو خود عرب کی گرم آب و ہوا میں عورتوں کے غیرمعمولی نشوونماکی صلاحیت ہےدوسرے عام طورپر یہ بھی دیکھا گیا ہے کہ جس طرح ممتاز اشخاص کے دماغی اور ذہنی قویٰ میں ترقی کی غیرمعمولی استعداد ہوتی ہے، اسی طرح قدوقامت میں بھی بالیدگی کی خاص صلاحیت ہوتی ہے۔ اس لیے بہت تھوڑی عمر میں وہ قوت حضرت عائشہ رضی الله عنہا میں پیدا ہوگئی تھی جو شوہر کے پاس جانے کے لیے ایک عورت میں ضروری ہوتی ہے۔
یہی وجہ ہے کہ حضرت عائشہ رضی الله عنہا کو خود ان کی والدہ نے بدون اس کے کہ آنحضرت صلى الله علیه وسلم کی طرف سے رخصتی کا تقاضا کیاگیاہو، خدمتِ نبوی میں بھیجا تھا اور دنیا جانتی ہے کہ کوئی ماں اپنی بیٹی کی دشمن نہیں ہوتی؛ بلکہ لڑکی سب سے زیادہ اپنی ماں ہی کی عزیز اور محبوب ہوتی ہے۔ اس لیے ناممکن اور محال ہے کہ انھوں نے ازدواجی تعلقات قائم کرنے کی صلاحیت واہلیت سے پہلے ان کی رخصتی کردیا ہو ۔

اسلامی تاریخ سے مثالیں:
اسلامی کتابوں میں ایسے بہت واقعات نقل کیے گئے ہیں ، جن سے ثابت ہوتا ہے کہ عرب کے معاشرے میں نو (9) سال کی عمر میں بچہ جنم دینا عام بات اور اس عمر میں نکاح کرنارواج تھا۔ ان لوگوں کے لئے یہ کوئی حیرت کی بات نہیں تھی۔چند واقعات ،
(1)
ابوعاصم النبیل کہتے ہیں کہ میری والدہ ایک سو دس (110) ہجری میں پیدا ہوئیں اور میں ایک سو بائیس( 122) ہجری میں پیدا ہوا۔ (سیر اعلاالنبلاء جلد7رقم1627) یعنی بارہ سال کی عمر میں ان کا بیٹا پیدا ہوا تو ظاہر ہے کہ ان کی والدہ کی شادی دس سے گیارہ سال کی عمر میں ہوئی ہوگی۔
(2)
عبداللہ بن عمر و اپنے باپ عمرو بن عاص رضی اللہ عنہ سے صرف گیارہ سال چھوٹے تھے ۔
(
تذکرة الحفاظ جلد1ص93)
(3)
ہشام بن عروہ نے فاطمہ بنت منذر سے شادی کی اور بوقت زواج فاطمہ کی عمر نو سال تھی ۔ (الضعفاء للعقیلی جلد4رقم 1583، تاریخ بغداد 222/1)
(4)
عبداللہ بن صالح کہتے ہیں کہ ان کے پڑوس میں ایک عورت نو سال کی عمر میں حاملہ ہوئی اور اس روایت میں یہ بھی درج ہے کہ ایک آدمی نے ان کو بتایاکہ اس کی بیٹی دس سال کی عمر میں حاملہ ہوئی ۔ (کامل لابن عدی جلد5ر قم 1015)
حضرت معاویہ رضی اللہ عنہ نے اپنی بیٹی کی شادی نو سال کی عمر میں عبداللہ بن عامر سے کرائی (تاریخ ابن عساکر جلد70) ۔
امام دارقطنی رحمہ اللہ نے ایک واقعہ نقل فرمایا ہے کہ عباد بن عباد المہلبی فرماتے ہیں میں نے ایک عورت کو دیکھا کہ وہ اٹھارہ سال کی عمر میں نانی بن گئی نو سال کی عمر میں اس نے بیٹی کو جنم دیا اور اس کی بیٹی نے بھی نو سال کی عمر میں بچہ جنم دیا ۔(سنن دارقطنی جلد3کتاب النکاح رقم 3836) ان

ماضی قریبب اور حال کی مثالیں:
اس طرح کے کئی حوالے اس بات پر دلالت کرتے ہیں کہ یہ کوئی انوکھا معاملہ نہیں تھا ، آج کل بھی اخباروں میں اس قسم کی خبریں چھپتی رہتی ہیں ۔
ماضی قریب میں اسی طرح کا ایک واقعہ رونما ہواکہ 8سال کی بچی حاملہ ہوئی اور 9سال کی عمر میں بچہ جنا ۔ (روزنامہ DAWN 29 مارچ1966)
ڈاکٹر ذاکر نائیک نے ایک دفعہ اپنے ایک انٹر ویو بتاتے ہیں کہ : ”حدیث عائشہ رضی اللہ عنہا کے بارے میں میرے ذہن میں بھی کافی شکوک وشبہات تھے۔بطور پیشہ میں ایک میڈیکل ڈاکٹر ہوں۔ ایک دن میرے پاس ایک مریضہ آئی جس کی عمر تقریباً 9سال تھی اور اسے حیض آرہے تھے۔ تو مجھے اس روایت کی سچائی اور حقانیت پر یقین آگیا ‘۔
علاوہ ازیں روزنامہ جنگ کراچی میں 16اپریل 1986ء کوایک خبر مع تصویرکے شائع ہوئی تھی جس میں ایک نو سال کی بچی جس کا نام (ایلینس) تھا اور جو برازیل کی رہنے والی تھی بیس دن کی بچی کی ماں تھی۔
اس طرح روزنامہ آغاز میں یکم اکتوبر 1997کوایک خبر چھپی کہ (ملتان کے قریب ایک گاؤں میں)ایک آٹھ سالہ لڑکی حاملہ ہوگئی ہے اور ڈاکٹروں نے اس خدشہ کا اعلان کیا ہے کہ وہ زچکی کے دوران ہلاک ہوجائے.پھر 9دسمبر 1997کو اسی اخبار میں دوسری خبر چھپی کہ ”ملتان (آغاز نیوز) ایک آٹھ سالہ پاکستانی لڑکی نے ایک بچہ کو جنم دیا ہے. ڈاکٹروں نے بتایا کہ بچہ صحت مند ہے ۔
جب پاکستان جیسے جیسے معتدل اور متوسط ماحول وآب و ہوا والے ملک میں آٹھ برس کی لڑکی میں یہ استعداد پیدا ہوسکتی ہے تو عرب کے گرم آب و ہوا والے ملک میں ۹/ سال کی لڑکی میں اس صلاحیت کا پیدا ہونا کوئی تعجب کی بات نہیں ہے۔
انٹرنیٹ پر بھی اس عمر کی لڑکیوں کے ہاں بچوں کی پیدائش کی بیسوں خبریں موجود ہیں، دو تین ماہ پہلے ایک خبر نظر سے گزری تھی جس میں یورپ کی ایک لڑکی کا بتایا گیا تھا کہ وہ بارہ سال کی عمر میں ماں بن گئی، اورحضرت عائشہ رضی اللہ عنہ کے نکاح پر اعتراض کرنے والے انہی ملحدین نے اسے ورلڈ ریکارڈ قرار دیا تھا..
، جب آپ غورکریں گے کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم نے عائشہ رضي اللہ تعالی عنہا کے علاوہ کسی اورکنواری عورت سے شادی نہيں کی بلکہ ان کے علاوہ باقی سب بیویاں ایسی تھیں جن کی پہلے شادی ہوچکی تھی اب یا تو وہ مطلقہ تھیں یا بیوہ ، اس طرح وہ طعن جوکچھ لوگ پھیلانے کی کوشش کرتے ہیں کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم کا شادی کرنے کا مقصد صرف عورتوں کی شھوت اوران سے نفع اٹھانا تھا زائل ہوجاتا ہے ۔
کیونکہ جس شخص کا یہ مقصد ہو تووہ اپنی ساری بیویاں یا اکثر ایسی اختیار کرتا ہے جوانہتائي خوبصورت ہوں اوران میں رغبت کی ساری صفات پائي جائيں ، اوراسی طرح اورحسی اورزائل ہونے والے معیار بھی ۔
کفار اوران کے پیروکاروں کا اس طرح نبی رحمت صلی اللہ علیہ وسلم میں طعن کرنا اس بات کی غمازی کرتا ہے کہ وہ اللہ تعالی کی طرف سے نازل کردہ دین اورشریعت میں طعن کرنے سے بالکل عاجز آچکے ہیں اب انہيں کچھ نہيں ملا تونبی صلی اللہ علیہ وسلم کی ذات میں طعن کرنا شروع کردیا اورکوشش کرتے ہيں کہ خارجی امور میں طعن کیا جائے ، لیکن اللہ تعالی تواپنے نور اوردین کو مکمل کرکے رہے گا اگرچہ کافر برا مناتے رہیں ۔
اللہ تعالی ہی توفیق بخشنے والا ہے ۔
 بینجامن مہر 

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